चण्डीगढ़। यूनाइटेड फोरम ऑफ आईडीबीआई ऑफिसर्स एंड एम्प्लॉइज के बैनर तले, ऑल इंडिया आईडीबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईआईडीबीआईओए) और ऑल इंडिया इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईआईडीबीईए) के सदस्यों ने सोमवार को बैंक स्क्वायर, सेक्टर-17 में एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का आयोजन किया।
यह हड़ताल आईडीबीआई बैंक के भविष्य और कर्मचारियों के हितों से जुड़े अहम मुद्दों और मांगों को लेकर की गई। यह हड़ताल 26 जुलाई 2025 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर और 9 अगस्त 2025 को मुंबई के आज़ाद मैदान में हुए धरनों के बाद आयोजित की गई थी। इस विरोध को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के तहत पूरे बैंकिंग उद्योग के साथ-साथ बीमा, रेलवे और अन्य क्षेत्रों के संगठनों का भी पूरा समर्थन मिला।
मुख्य मांगों में भारत सरकार और एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक को निजी या विदेशी हाथों में बेचने की प्रस्तावित योजना को रोकना, 5,000 क्लर्क और 2,000 सब-स्टाफ की भर्ती, बैंक में टोक्सिक वर्क कल्चर को समाप्त करना और अधिकारियों के लिए द्विपक्षीय ट्रांसफर पॉलिसी लागू करना शामिल है।
आईडीबीआई बैंक की स्थापना 1964 में आईडीबीआई अधिनियम के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में की गई थी, ताकि यह औद्योगिक विकास का शीर्ष संस्थान बन सके और विभिन्न वित्तीय संस्थानों का समन्वय करते हुए वित्त उपलब्ध करा सके। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सौरव कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऑल इंडिया आईडीबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि उसकी विकासात्मक भूमिका को कमजोर करेगा, कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डालेगा और आम जनता पर नकारात्मक असर डालेगा।
उन्होंने सरकार और एलआईसी से आईडीबीआई के सार्वजनिक क्षेत्र के स्वरूप को बनाए रखने, कर्मचारियों की कमी को दूर करने और कल्याणकारी जरूरतें पूरी करने की अपील की, ताकि बैंक देश की आर्थिक प्रगति में अपनी ऐतिहासिक भूमिका जारी रख सके। मंच ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो आने वाले समय में आंदोलन और बड़े पैमाने पर तथा लंबे समय तक जारी रहेगा।