BNN India :-वैकल्पिक गीलापन और सुखाने के माध्यम से नई तकनीक हो रही विकसित
करनाल। भारत के 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य की दिशा में बढ़ते हुए एब्रो और सिंजेंटा द्वारा संयुक्त रूप से चावल की खेती के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए क्लाइमेट-स्मार्ट समाधानों पर पायलट प्रोरजेक्ट हरियाणा के करनाल व यमुनानगर जिलों में शुरू किया गया। सिंजेंटा ग्रुप की चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर पेट्रा लॉक्स और एब्रो इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ग्राहम कार्टर ने हरियाणा में चल रही क्लाइमेट-स्मार्ट बासमती चावल परियोजना का दौरा किया और टिकाऊ खेती के प्रति अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता को दोहराया।
इस दौरे में यमुनानगर जिले के रत्तनगढ़ गांव में फील्ड डेमोंस्ट्रेशन और करनाल में हितधारकों की बैठक का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य भारत की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप कम उत्सर्जन वाली धान की खेती को बढ़ावा देना था। हरियाणा में धान की खेती के पारंपरिक तरीकों जैसे लगातार खेतों में पानी भरना, मीथेन उत्सर्जन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
अल्टरनेट वेटिंग एंड ड्राइंग तकनीक के जरिए किसानों ने 12 प्रतिशत सिंचाई में कमी और 36 प्रतिशत मीथेन उत्सर्जन में गिरावट दर्ज की है। साथ ही, मिट्टी परीक्षण के जरिए किसानों ने 2022 की तुलना में उर्वरकों के उपयोग में 33 प्रतिशत तक की कमी की है। किसानों को सुरक्षित फसल सुरक्षा और पराली प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है।
एब्रो इंडिया के प्रबंध निदेशक ग्राहम कार्टर ने कहा कि हम जब अधिक टिकाऊ खेती मॉडल विकसित करते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना होता है कि ये मॉडल किसानों की जमीनी परिस्थितियों के अनुकूल हों। यह परियोजना वर्तमान में हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश में संचालित हो रही है, जिसमें 12,000 एकड़ क्षेत्र और 900 से अधिक किसान शामिल हैं।