चण्डीगढ़ : डॉ. विनोद कुमार शर्मा का चर्चित काव्य संग्रह सुम्नावरी का विमोचन भारतीय संसद, लोकसभा सचिवालय में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार रणविजय कुमार राव ने विख्यात लेखक प्रेम विज की उपस्थिति में चंडीगढ़ प्रेस क्लब में किया। सुम्नावरी डॉ. विनोद कुमार शर्मा का 20वां काव्य संग्रह है। काव्य उनकी प्रमुख विधा है। सभी काव्य संग्रहों को साहित्य जगत प्रेमियों द्वारा खूब सराहा जा रहा है।रणविजय कुमार राव ने कहा कि सुम्नावरी काव्य संग्रह में प्रकृति के प्रति प्रेम दिखाई देता है। जीत की आस रचना के माध्यम से मानव को परिश्रम और समर्पित भाव से कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। रख हौसला बुलंद रचना में आत्मविश्वास की भावना जागृत की गई है।
कार्यक्रम के दौरान प्रेम विज ने कहा कि डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने मन गदगद हो जाता है रचना के आधार पर मनुष्य को हर परिस्थिति में आनंद में रहने को कहा है। मनुष्य को समुद्र की तरह विशाल हृदय वाला बनना चाहिए। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को त्याग कर सादगी भरा जीवन जीना चाहिए। डॉ विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि मन को अच्छे विचारों से जगमग करना चाहिए। यदि दिल से नफरत मिटाने का प्रयास किया जाए तो सच्चे अर्थों में मानव, मानव कहलाएगा। कर्महीन व्यक्ति में कर्म करने की भावना को जागृत करने का प्रयास किया गया है। रचनाओं में पुरानी यादों को भी तरोताजा किया गया है। मनुष्य के स्वार्थपन को भी दर्शाया गया है और उसे छोड़ने की सलाह दी गई है।
रचनाओं में दर्शाया गया है कि विद्वानों का अनुसरण करके व्यक्ति मानवीय मूल्य से परिपूर्ण हो सकता है। मां की ममता विषय पर भी रचना पढ़ने को मिलेगी। दिल, दिमाग और जीभ का सही उपयोग करने को कहा गया है। पेड़ों की महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है। अच्छे विचारों से मन स्वच्छ एवं निर्मल रहता है। स्वार्थी मानव और पत्थर दिल इंसान के माध्यम से मनुष्य के अंदर व्यापक बुराइयों को उजागर किया है। उन्हें इनसे बचकर रहने के लिए प्रेरित किया है। काँटों ने सिखाया रचना के माध्यम से व्यक्ति को दुखों से भी सीख लेने के लिए कहा है। सूझबूझ से चुन पथ, कोहराम, जंगल में मंगल, वे आखिर हैं वीर, शिकवा किससे करें आदि कई विषयों पर विचार प्रस्तुत किये हैं। सभी रचनाएं नवीन विचारों से ओत- प्रोत है। कार्यक्रम के दौरान अनिल कुमार चोपड़ा, सीपी यादव, ओम प्रकाश, राममिलन, राज मणि, कृपा सिंधु आदि भी उपस्थित रहे।