पश्चिमी कमान मुख्यालय ने पीसीएस/तहसीलदारों के लिए सिविल डिफेंस प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया

चंडीगढ़: सैन्य-नागरिक समन्वय को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, चंडीमंदिर सैन्य स्टेशन ने 40 पीसीएस/तहसीलदारों के लिए सिविल डिफेंस प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी की। यह कार्यक्रम पंजाब सरकार के आपदा प्रबंधन केंद्र के तत्वावधान में अंतर-एजेंसी समन्वय को बेहतर बनाने के लिए आयोजित किया गया था। यह चंडीमंदिर सैन्य स्टेशन के प्रशिक्षण व अभ्यास दौरों की श्रृंखला का एक हिस्सा था, जो नागरिक-रक्षा स्वयंसेवकों के लिए आयोजित पहले दो बैचों के अनुसरण में आयोजित किया गया।

इस दौरे का उद्देश्य प्रशिक्षुओं में भारतीय सेना की क्षमताओं, विशेष रूप से आपदा राहत के लिए सेना के हस्तक्षेप की प्रक्रियाओं और पूर्व सैनिकों के कल्याण से संबंधित अन्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। स्थानीय अधिकारियों द्वारा मानवीय सहायता और आपदा राहत पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। प्रशिक्षुओं को प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आंतरिक आपात स्थितियों के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा अपनाई जाने वाली परिचालन संरचना, त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं और अंतर-एजेंसी समन्वय तंत्रों से अवगत कराया गया। सैनिकों के दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों, कानून के विभिन्न प्रावधानों के कार्यान्वयन और राज्य की योजनाओं पर विचार-विमर्श किया गया और विचारों का आदान-प्रदान किया गया। पूर्व सैनिकों को नागरिक रूप प्रदान करने और समाज में पुनः एकीकरण में आवश्यक सहायता प्रदान करने के तंत्र की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। युवा प्रशिक्षुओं को सैन्य कर्मियों पर लागू विशेष प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी गई।

प्रशिक्षुओं के उत्साही समूह को 1947 से लेकर अब तक के आक्रमणों के विरुद्ध राष्ट्र की रक्षा में पश्चिमी कमान की वीरता की कहानियों से भी अवगत कराया गया। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के अलावा, युवाओं को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई विभिन्न कार्रवाइयों से भी अवगत कराया गया। क्षमताओं और तकनीकी सुधारों का अनुभव कराने के लिए, आधुनिक हथियारों और उपकरणों का एक विशेष प्रदर्शन आयोजित किया गया।

इस तरह के अभिविन्यास दौरे नागरिक-सैन्य एकीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये दौरे भावी नागरिक प्रशासकों और सशस्त्र बलों के बीच आपसी समझ को मज़बूत करते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा, आपदा प्रतिक्रिया और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण की नींव रखते हैं।

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