कलियुग में मुक्ति का प्रमुख साधन है भगवद्नाम जप और कथा श्रवण करना : आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री

चण्डीगढ़ : सेक्टर 28 के प्राचीन खेड़ा शिव मंदिर में आयोजित शिव पुराण की कथा में प्रवचन करते हुए आचार्य ईश्वर चंद्र शास्त्री जी ने कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहीं पारा के श्लोक की व्याख्या करते हुए कहा कि जीवन में यदि सुख और शांति चाहते हो, तो त्याग की भावना रखें और ज्यादा से ज्यादा भगवद्नाम का जप करें। सत्संग और कथा का आश्रय लें।

श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए भगवान महादेव का शिवलिंग के रूप में पंचामृत एवं गंगाजल इत्यादि से अभिषेक करें।

उन्होंने कहा कि भूत भावन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव पुराण की कथा सुनें और शिव नाम जपें। भगवान के अनेक नाम हैं, अनेक मंत्र हैं। जो आपको गुरु-कृपा से भगवद्नाम प्राप्त हो, उसी का जप करें। नाम जप से सिद्धि प्राप्त होती है और संकट दूर होते हैं।

जीव के पापों का नाश होता है। विश्वास से किया गया भगवद्नाम जप व्यक्ति को मृत्यु के मुख से भी बचा लेता है। कलियुग में केवल नाम जप और संकीर्तन ही फलदायक हैं।

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